❤️श्री मुरलीधर❤️

 
❤️श्री मुरलीधर❤️
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तो पै जाऊँ रे साँवरिया सब कुछ वारना रे।। टेर ।। मात पिता की बंध छुड़ाई, नंदराय घर धेनु चराई।जसुमत भरम भुलाइ झुलावे पालना रे।। 1 ।। जबसे जनम लियो हरि व्रज में, सबके कष्ट हरे इक पल में।बिष का अंचल लेय पूतना तारना रे।। 2 ।। ईन्दर कोप कियो ब्रज ऊपर, कोइ न राखन हारो भू पर।करी कृपा तुम नख पर गिरिवर धारना रे।। 3 ।। खेलत गेंद सखा सँग नटवर, उछल पड़ी जमुना के भीतर।कूद पड़े कालीदह विषधर नाथना रे।। 4 ।। अघा बकासुर राक्षस मारे, कागासुर की चोंच उखारे।चोटी पकड़ कंस को मार पछारना रे।। 5 ।। जब जब भीर परी भक्तन पर, तब तब स्हाय करी मुरलीधर।‘सूरश्याम’ बलिहार चरन चित धारना रे।। 6 ।।
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shwetashweta
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