❤श्री राधा गोविंद❤

 
❤श्री राधा गोविंद❤
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होरी खेलनकू आई राधा प्यारी हाथ लिये पिचकरी॥ध्रु०॥ कितना बरसे कुंवर कन्हैया कितना बरस राधे प्यारी॥ हाथ०॥१॥ सात बरसके कुंवर कन्हैया बारा बरसकी राधे प्यारी॥ हाथ०॥२॥ अंगली पकड मेरो पोचो पकड्यो बैयां पकड झक झारी॥ हाथ०॥३॥ मीरा कहे प्रभु गिरिधर नागर तुम जीते हम हारी॥ हाथ०॥४॥ ❤फागुन के दिन चार होली खेल मना रे॥ बिन करताल पखावज बाजै अणहदकी झणकार रे। बिन सुर राग छतीसूं गावै रोम रोम रणकार रे॥ सील संतोखकी केसर घोली प्रेम प्रीत पिचकार रे। उड़त गुलाल लाल भयो अंबर, बरसत रंग अपार रे॥ घटके सब पट खोल दिये हैं लोकलाज सब डार रे। मीराके प्रभु गिरधर नागर चरणकंवल बलिहार रे॥
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